कोन्डोलीम समुद्र तट
हिप्पी जब भारत आये तो अपने साथ लाये अपना अनूठा संगीत, संगत, फैशन, आजादी, फक्कड़ता। हिप्पी अमेरिका से चले यूरोप मध्य एशिया होते भारत पहुचे। दरअसल वो ऐसे यात्री थे जिनकी मंजिल ही यात्रा थी। लेकिन भारत आकर हिप्पी थम गए ! यहाँ उनका परिचय हुआ असली फक्कड़ता से जिसमे सधुक्कड़ी थी, स्वतंत्रता थी, संगीत भी था, संगत भी और हाँ लक्ष्य भी था अध्यात्म का।
जी आपने सही समझा उन्हें स्वयं से परिष्कृत सन्यास का रास्ता मिला भारतीय साधुओं से। गले में रुद्राक्ष, शीष पर जटा, गेरुआ वस्त्र और संगीत में हरे रामा हरे कृष्ण का फैशन भा गया। हिप्पी सन्यास के रास्ते पर जरूर पहुचे लेकिन बिना अध्यात्म के , बिना गुरु शिष्य परंपरा के, बिना आश्रम के, बिना भाव के पथ विहीन हो गए और भारत में सामानांतर उप संस्कृति का निर्माण किया जो आज इतिहास बन चूका है और जिनके अवशेष मात्र गोवा में नजर आते हैं ।
इतिहास से याद आया प्राचीन इतिहास में गोवा का उल्लेख ग्रंथों में गो भूमि, गोपराष्ट्र के रूप में किया है। मध्यकाल में विजयनगर साम्राज्य के संस्थापक हरिहर प्रथम का इस् क्षेत्र में कब्ज़ा था । विजयनगर के बाद बीजापुर के आदिलशाहियों ने इस क्षेत्र पर अधिकार किया । गोवा पर 1510 ईस्वी में पुर्तगालियों के अधिकार के बाद इस क्षेत्र की तस्वीर बदल गयी । अंग्रेजों ने जहाँ कलकत्ता को अपना प्रशासनिक केंद्र बनाया वहीँ उनके प्रतिद्वंदी पुर्तगालियों ने गोवा को अपने पूर्वी क्षेत्र के उपनिवेशों के लिए राजधानी के रूप में विकसित किया।
यह बहुत दिलचस्प है कि यूरोप वासियों के लिए एक पुर्तगाली नाविक वास्कोडिगामा ने ही भारत की खोज की लेकिन उनसे 100 साल बाद भारत पहुँचने वाले अंग्रेजों ने लगभग पूरे भारत पर अधिकार कर लिया।
हम आधुनिक भारतीय इतिहास में केवल 1962,1965,1971और कारगिल 1999 के चार युद्ध को ही पढ़ते हैं । एक प्रमुख युद्ध से हम आश्चर्य जनक रूप से न जाने क्यूँ अनजान हैं और वह है भारत-पुर्तगाल युद्ध जिसे 'ऑपरेशन विजय' नाम दिया गया था इसमें जल- थल-वायु तीनो सेना का इस्तेमाल किया गया था। भारत पुर्तगाल युद्ध मात्र 2 दिवस में जीत लिया गया था लेकिन इसका अन्य युद्धों की तरह गौरव गान नहीं किया जाता । लेकिन इतिहास तो इतिहास है ।
वैसे गोवा में पर्यटन का श्रेय पुर्तगालियों को भी है उनकी भव्य वास्तुकला , नियोजन प्रणाली व् संरचनात्मक विकास से गोवा को यूरोपीय शहर सा रंग मिलता है। फिल्म एक दूजे के लिए , सागर, ख़ामोशी, कभी हाँ कभी ना, सिंघम गोवा की अलग अलग खूबसूरती को आपको याद करा सकते हैं लेकिन गोवा में 'चापोरा फोर्ट' वागतर बीच के पास बहुत ही शानदार जगह है जहाँ फिल्म ' दिल चाहता है' के टाइटल सांग की शूटिंग हुयी है। इस फिल्म के बाद गोवा युवा वर्ग की पहली पसंदीदा जगह बन गयी। मैं फिल्म 'दिल चाहता है' देखने के बाद से ही गोवा जाना चाहता था।
पहाड़ी पर बना 'अगोडा फोर्ट' समुद्र किनारे लंगर डाले बड़े जहाज सा लगता है। यह पहले पुर्तगाली जहाजों को राशन पानी आपूर्ति का केंद्र था । यह जगह बेहद दिलचस्प है यहाँ पुरातत्व विभाग द्वारा 15 अलग अलग गोवा के किले और भव्य इमारतों का वर्णन है जिससे गोवा की इतिहास एवं भूगोल की जानकारी मिलती है।
यहां मांडवी नदी के बैक वाटर बहुत खूबसूरत दृश्य बनाते हैं. गोवा से नार्थ में दो घंटे की ड्राइव पर महाराष्ट्र में मालवण व् मराठों की अभेद्य सिंधुदुर्ग है जहाँ स्कूबा डाइविंग और वाटर स्पोर्ट की गतिविधियां होती है । ये बहुत ही रोमांचक होते है। गोवा से साऊथ में दो घंटे की ड्राइव में कर्नाटक में प्रसिद्ध दूधसागर फाल है साथ में मसालों के फार्म का भी मजा यात्रा को डबल मजेदार बना देता है।। गोवा में डॉलफिन स्पॉट , लाइट हाउस, गवर्नर हाउस, कैसिनो बोट क्रूज से देखने का मजा अदभुत है। एक और महत्वपूर्ण इवेंट है समुद्र के बीच में ब्लू वाटर स्विमिंग विथ लंच......👌
गोवा भारत में विदेश का एहसास कराता है। इसे 'पर्ल ऑफ़ ईस्ट' या 'एशिया का लिस्बन' ऐसे ही नहीं कहा गया है।