बुधवार, 7 जून 2017

कानन पेन्डारी बिलासपुर..... चिड़ीयाघर.... मिनी जू...

कानन पेंडारी bilaspur
        इस चिड़ियाघर की शुरुआत एक नर्सरी के रूप में की गयी थी । बाद में यहाँ जंगल के भटके व् घायल जानवर के रहवास के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा । मनोरंजन के साथ साथ लोगों को जंगली जीव से परिचित कराने के लिए इसे चिड़ियाघर के रूप में विकसित किया गया है। यह  जंगली जीवों की रक्षा , प्रजनन केंद्र तथा प्रशिक्षण हेतु उपयोगी है।
       यहाँ देखने के लिए बहुत से जानवर हैं लेकिन इनकी स्थिति दयनीय नजर आती है । विशेषकर रिशस बन्दर जिसे बहुत छोटे पिंजरे में बंद रखा गया है। बच्चे जानवर देख कर खुश तो हुए लेकिन उनके भी मन में कुछ प्रश्न जागृत हो गए....जब इतने सारे बन्दर बाहर घूम रहे हैं तो केवल दो बंदरों को पिंजड़े में क्यों रखा गया है ?
     नन्हा  सफ़ेद बाघ बहुत रोमांचित करता है। इसका नाम आकाश है यह बाघिन सिद्धि का शावक है लेकिन इसकी केज के बाहर अभी भी आशा बाघिन का नाम लिखा हुआ है। तेंदुआं  बाघ और सिंह के  केज के समक्ष जानकारी  के साथ उनका नाम लिखे जाने से समझने में बहुत सुविधा होगी और हाँ जू के अन्दर खाद्य सामग्री के लिये  प्लास्टिक का  उपयोग चिंताजनक है....


















कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें